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2020 was the year of Bhojpuri disprutors

The article was published to celebrate the International Mother Language Day
in The Free Press Journal, Mumbai, on February 21, 2021.

To read more: https://www.freepressjournal.in/weekend/from-manoj-bajpayees-rap-to-podcasts-the-year-of-bhojpuri-disruptors

चल रे बटोही सिर्फ एक गाना नहीं बल्कि प्रवासियों के अपने घर वापसी की कहानी है: अमरेंद्र शर्मा

By Shillpi A Singh

आज की ख़ास बातचीत अमरेंद्र शर्मा से जिन्हें आपने फिल्मों और टेलीविज़न में अभिनेता के रूप में देखा होगा पर क्या आप जानते हैं इन्होंने पिछले साल भोजपुरी गाने – चल रे बटोही – के गायक और निर्माता के रूप में एक नयी पहचान बना कर सब को चौंका दिया था। चलिए एक बटोही के साथ उसके सफर पर और जानिये इस अभिनेता, गायक और निर्माता के पीछे छुपे एक प्रवासी के दर्द को।

अमरेंद्र शर्मा

आप को हमनें फिल्मों और टेलीविज़न पर अभिनेता के रूप में देखा है। पिछले साल आपने दो म्यूजिक वीडियो में बतौर गायक और निर्माता के रूप में हम सब के सामने आये। इस सफर की शुरुआत कहाँ से और कैसे हुई ?

मैं बिहार के बेतिया जिले के शिकारपुर गाँव से मैट्रिक करने के बाद 1998 में पटना थिएटर करने आ गया। बिहार आर्ट थिएटर से एक्टिंग में दो साल का डिप्लोमा किया और उसी समय पंकज त्रिपाठी भईया से मिलना हुआ और उन्होंने मुझे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) के विजय कुमार जी के मंच आर्ट ग्रुप से जोड़ लिया। फिर हमलोग कई सालों तक पूरे देश मे घूम घूम के बहुत सारे नाटक किया जिसमे फणीश्वरनाथ रेणु जी की कहानियां (पंच लाइट, रसप्रिया), हरीशंकर परसाई जी की कहानियां (ना जाने केंहि भेष में, हम बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं) का कोलाज़ बना के, फिर रागदरबारी, जात ना पूछो साधु के, ऑफ माइस एंड मैन, बहुत सारे शोज़ किये। फिर कोलकाता में उषा गांगुली जी के रंगकर्मी रेपेट्री से जुड़ गया। वहाँ पर कोर्टमार्शल, शोभायात्रा, काशी के असी, मुक्ति, मातादीन चाँद पे, बहुत सारे शोज़ किये। उसके बाद दिल्ली साहित्य कला परिषद रेपेट्री से जुड़ गया। वँहा पर सतीश आनंद सर के साथ अन्वेषक, महानिर्वाण, चित्तरंजन त्रिपाठी जी के साथ लड़ी नज़रिया, दस दिन का अनसन (हरिशंकर परसाई जी की) सुमन कुमार जी के साथ कहानियों का मंचन किया।
दिल्ली में नाटक करते हुए मनोज बाजपेयी सर की फ़िल्म 1971 में काम करने का मौक़ा मिला, जिसमे मैं पाकिस्तानी सोल्जर की भूमिका में था। काम कुछ ख़ास नहीं था, पर मुझे मनोज जी को क़रीब से अभिनय करते देखना था, मैं उनको स्वाभिमान, दौड़, तमन्ना के समय से फॉलो करता था, जब सत्या आई तो मैं बिल्कुल बेचैन हो गया कि मुझे कैसे भी कर के एक्टर बनना है। मैंने उनकी सत्या देखी थी और शायद तभी से मुझे अभिनेता बनने की इच्छा जागी थी। स्कूल टाइम में अजय देवगन साहब का जबरदस्त फैन रहा हूँ। एक भी फ़िल्म नहीं छोड़ता था। फिर 2008 में मुम्बई आ गया। दूसरे मेरे पसन्दीदा एक्टर इरफान खान सर के साथ अपना आसमान किया। मणिरत्नम सर के साथ रावण किया। फिर मैंने फिल्मों से थोड़ी दूरी बना लिया, अच्छे काम नहीं मिल रहे थे सो मैंने टेलीविजन के तरफ़ रुख़ किया। क्राइम शोज़ में लीड रोल किये। कुछ विज्ञापनों में भी काम किया। 2018 में मुझे भोर फ़िल्म मिली, फिर 2019 में बाटला हाउस मिली। 2020 में मैंने बटोही म्यूजिक वीडियो बनाया। बटोही के बाद, छठ का गीत बनाया, उसे भी लोगों ने पसंद किया।

आप खुद को प्रवासी रचनात्मक मजदूर क्यों कहते हैं ? बटोही म्यूजिक वीडियो के पीछे क्या कहानी छुपी हुई है ?

सन 2000 में मैं पहली बार बिहार से बाहर, दिल्ली नाटक करने, अपने गाँव के कुछ लोगों के साथ पहुंचा था । वो लोग कापसहेड़ा में फैक्ट्री में काम करते थे और एक छोटे से कमरे में 7 से 8 लोग रहते थे। मैं भी उनलोगों के साथ रहने लगा, उन लोगों की स्थिति देख के मुझे बहुत बुरा लगा। मुझे बाहर इतनी बुरी स्थिति में रहना पड़ेगा, मैं कभी सपने में भी नही सोचा था, पर धीरे धीरे मैं भी उनमें ढल गया। कुछ समय बाद मैं वंहा से मंडी हाउस चला आया और अपने नाटक में मस्त हो गया। उसी समय NDTV पर रविश कुमार जी की रिपोर्ट देखी, जिसमे रविश जी मेरे ही ज़िले के प्रवासी मज़दूरों के साथ खाना खाते हुए रिपोर्टिंग कर रहे थे। उस दृश्य ने मुझे अंदर से झंझोर दिया। ख़ुद को पराजित महसूस करने लगा। पहली बार प्रवासी शब्द का अर्थ समझा, पहली बार अहसास हुआ कि मैं भी प्रवासी मज़दूर हूँ। मैं भी अपना परिवार, गाँव, समाज और जगह छोड़ कर मज़दूरी करने आया हूँ। उसके बाद मैं कलकत्ता गया, फिर मुम्बई आ गया, हर जगह उस दर्द को महसूस करता रहा।

चल रे बटोही अपन गाँव

चल रे बटोही अपन गाँव म्यूजिक वीडियो बनाने में कितना समय लगा ?

मुम्बई में संघर्ष करते वक़्त महसूस हुआ कि भोजपुरी में बहुत बुरा काम हो रहा है। भोजपुरी अश्लीलता का पर्याय बन चुका है। दूसरे राज्य के दोस्तों के बीच भोजपुरी मज़ाक की भाषा थी। बहुत बुरा लगता था। भोजपुरी में कुछ करना चाहता था पर कर नहीं पा रहा था, जिस तरह की भोजपुरी फ़िल्म बन रहीं थी कभी मन नही हुआ करने का। मैं गायक नही हूँ, पर नाटक में हमेशा गाता रहा हूँ, सो मेरा मन किया कि क्यूं न भोजपुरी में कुछ गाया जाय। प्रवासी होने का दर्द मैं मुम्बई में भी महसूस कर रहा था सो पलायन पर कुछ गाने का मन बनाया। सन 2018 की बात है, मैंने गीत लिखना शुरू किया पर पेपर पर उसको उतार नहीं पाया। फिर अपने गाँव के अभिजीत मिश्र को समझाया और कई महीनों के डिस्कस करने के बाद गीत तैयार हुआ। फिर भी मुझे गीत अधूरा लग रहा था; फिर मैं मुम्बई में राइटर डायरेक्ट आशुतोष तिवारी से मिला और बटोही का दूसरा अंतरा लिखवाया।
फिर दोस्त मनु वर्मा से डेमो म्यूजिक तैयार करवा के, फाइनेंस के लिए लोगों से मिलता रहा, पर कोई तैयार नहीं हुआ। फिर सोचा अब किसी से नही मिलूंगा, ख़ुद ही बनाऊंगा। ऐसे सोचते सोचते दो साल बीत गए। फिर लॉक डाउन में गाँव आ गया। प्रवासी मज़दूरों का संघर्ष देखा तो बहुत दुःख हुआ, ऐसा लगा बटोही इसी दिन के लिए बचा के रखा हूँ। कुछ समझ नही आ रहा था, गाँव में कोई सुविधा नहीं थी। क्या करूँ, सोचा फेसबुक पे लाइव गा देता हूँ, पर मन नहीं माना। फिर बेतिया में ही DOP चंदन से बात किया और वहीं पर लॉक डाउन में रेकॉर्डिंग कर के वीडियो भी शूट कर लिया। फिर मुम्बई एडिट के लिए फ़ाइल सेंड करने में तीन दिन लग गए, यहां पे इनटरनेट का बहुत प्रॉब्लम था। वीडियो शूट करने में टोटल चार लोग थे। ज़ीरो बज़ट में बटोही बन कर तैयार हुआ।

आपके बटोही गाने की बहुत तारीफ हुई है। क्या आपने ऐसा सोचा था ?

बटोही को जैसा मैंने सोचा था वैसे ही सबके सामने था, सभी का प्यार बहुत मिला।
मनोज बाजपेयी सर ने ट्विटर पे शेयर किया। पंकज त्रिपाठी भईया ने अपने पेज से शेयर किया।
रविश कुमार जी ने NDTV पे प्राइम टाइम में पूरा वीडियो चलाया।
निर्देशक अविनाश दास जी, अरविंद गौर जी … सब ने शेयर किया।
सबसे बड़ी बात मुझे ये लगी की दूसरे राज्य के लोगों ने भी इस भोजपुरी गीत को सराहा और पसंद किया।शायद इसलिए भी क्यूंकि इस देश में अगर बिहार का लड़का अगर महाराष्ट्र में काम करता और रहता है तो वह एक प्रवासी है। और इस तरह हम सभी प्रवासी ही हैं।

आप अभिनय और गायन के क्षेत्र में इस साल और क्या-क्या कर रहे हैं ?

दो फिल्मों – मछली और नरभक्षी – में काम किया है जिसका पोस्ट प्रोडक्शन चल रहा है। एक हॉट स्टार की वेब सीरीज कर रहा हूँ। कुछ भोजपुरी म्यूजिक वीडियो भी प्लान किया है, उसको करना है। अभी मैं किन्नर समुदाय के दुर्दशा और व्यथा पर भोजपुरी में म्यूजिक वीडियो बना रहा हूँ।